निकल पड़ा हूँ लेखन यात्रा में , लिए शब्दों का पिटारा ! भावनाओ की स्याही हैं , कलम ही मेरा सहारा !!
सफर तो अकेले का ही है ,
अकेले ही तय करना है ,
मिलते -बिछुड़ते रहेंगे हर मोड़ पर ,
मंज़िल तक पहुँचना अकेले ही है।
मायने बस यह रखता है ,
मिलने -बिछुड़ने वालों से ,
क्या आपने सीखा ,क्या सिखाया ,
क्या यादें दी , क्या यादों का जखीरा बनाया।
Wow...Great insight
Wow...Great insight
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