ऐ मेरे स्कूल तुझे शुक्रिया नहीं कहूंगा ,
क्यूंकि तुम मुझसे अलग कभी हुए ही नहीं ,
तुझे ही जीता हूँ मैं आज भी ,
मन तो तेरे आँगन छोड़ आया था तभी।
तेरी आँगन की मिटटी की महक ,
आज भी याद है मुझे ,
तेरी दीवारों पर मेरे लिखे शब्द ,
पता है मेरी याद में छुपाये है कही।
मेरी शैतानियों को याद कर ,
सिसकता है तेरा रोम रोम भी ,
मेरी खिलखिलहाट गूंजती है ,
तेरे गलियारे में आज भी।
हाँ , ज़िन्दगी के सफर में बहुत आगे निकल गया हूँ ,
तेरे नाम की विरासत जो लिए चल रहा हूँ ,
बढूंगा और आगे बढूँगा ,
सीखा तेरे आँगन से ही।
मगर , ये तुझे भी पता है ,
और मुझे भी ,
हम दोनों कभी न अलग हुए थे , न होंगे
बस तू मेरी यादों को संभाले रखना ,
मैं तेरे नाम का परचम लहराता हूँ कहीं।
बस तेरे जर्रे जर्रे को प्रणाम करना चाहता हूँ ,
नमन हर कण कण को करता हूँ ,
एहसानमंद हूँ तेरा हर पल ,
बस खुद को ' नवोदयन ' करना चाहता हूँ।
क्यूंकि तुम मुझसे अलग कभी हुए ही नहीं ,
तुझे ही जीता हूँ मैं आज भी ,
मन तो तेरे आँगन छोड़ आया था तभी।
तेरी आँगन की मिटटी की महक ,
आज भी याद है मुझे ,
तेरी दीवारों पर मेरे लिखे शब्द ,
पता है मेरी याद में छुपाये है कही।
मेरी शैतानियों को याद कर ,
सिसकता है तेरा रोम रोम भी ,
मेरी खिलखिलहाट गूंजती है ,
तेरे गलियारे में आज भी।
हाँ , ज़िन्दगी के सफर में बहुत आगे निकल गया हूँ ,
तेरे नाम की विरासत जो लिए चल रहा हूँ ,
बढूंगा और आगे बढूँगा ,
सीखा तेरे आँगन से ही।
मगर , ये तुझे भी पता है ,
और मुझे भी ,
हम दोनों कभी न अलग हुए थे , न होंगे
बस तू मेरी यादों को संभाले रखना ,
मैं तेरे नाम का परचम लहराता हूँ कहीं।
बस तेरे जर्रे जर्रे को प्रणाम करना चाहता हूँ ,
नमन हर कण कण को करता हूँ ,
एहसानमंद हूँ तेरा हर पल ,
बस खुद को ' नवोदयन ' करना चाहता हूँ।