हो जायेंगे मसले हल ,
चिंता से क्या होगा ,
जो करना है वो कर ,
हल कुछ निकल आयेगा।
कमियाँ किसके अंदर नहीं यहाँ ,
कोई भी तो पूर्ण नहीं है ,
जो प्राप्त है , पर्याप्त है ,
प्राप्य के लिये प्रयत्न कर।
आनन्द बाहर नहीं मिलेगा ,
वो तो मन के भीतर है ,
फँसा हुआ मन बाहर ,
बाहर हर जगह कोलाहल है।
कर्म बहुत जरुरी है ,
उसके बिना गति नहीं है ,
कर्मफ़ल में जो मिले ,
स्वीकार कर और आगे बढ़।
जीवन सागर में उतरी नाव है ,
पतवार तेरी ख़ुद के हाथ है ,
कब लगेगी पार " आनन्द "
ये बस ईश्वर के हाथ हैं।
True and great lines
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