Sunday, October 12, 2025

रोते पुरुष

पुरुष दंभ भरते है ,

वो रोते नहीं है ,

उनकी आँखों से ,

आँसू टपकते नहीं है ,

सच है -बिल्कुल सच ,

वो अक्सर दिल के ,

अंदर ही अंदर रोते है ,

और शायद ,

इसीलिये पुरुष अक्सर ,

हृदयघात से ज्यादा मरते हैं।

 

पुरुष रो ले अगर ,

शायद ये दुनिया बहुत बेहतर हो जायेगी ,

आँसुओ से उनके शिलायें पिघल जायेगी ,

मसले बहुत आँसुओ में बह जाते ,

दिल के अवरोध सब निकल जाते ,

मगर बहुत मुश्किल से झरते है ,

आँखों से आँसू पुरुषों के ,

गर होता इतना आसान ये ,

धरती शायद स्वर्ग से कम न होती,

और पुरुष वाकई कोमल हो जाते,

और रोने से  पुरुषत्व और पुरुषार्थ ,

दोनों में कोई कमी नहीं आती।    


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