कारवां जारी हैं ..................
निकल पड़ा हूँ लेखन यात्रा में , लिए शब्दों का पिटारा ! भावनाओ की स्याही हैं , कलम ही मेरा सहारा !!
Sunday, October 22, 2017
दिवाली के पटाखे
दिवाली के पटाखे ,
बहुत कुछ समझा और सिखा गए ,
तूफ़ान था इनके भीतर ,
भड़ाम से फूटकर ,
दुसरो को खुशियाँ दे गए।
जो कल तक थे चमचमाते पैकेट के भीतर ,
आज बस उनका जला हुए खोल बाकी ,
तितर बितर टुकड़े ,
उठाकर किसी ने ,
कूड़े के ढेर में सुपुर्द कर दिए।
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