बदल लिए है दुनिया ने उसूल ,
आप भी बदल लीजिये ,
सच्चाई और ईमानदारी के झोले में ,
थोड़ा झूठ और थोड़ा बेईमानी भर लीजिये।
लद गए वो दिन जब सच्चे और ईमानदारों की ,
क़द्र और तरक्की होती थी ,
देख लीजिये अपने इर्द गिर्द ,
सबसे पहले इन्ही की बेइज़्ज़ती होती है।
नहीं रहा वो दौर अब ,
जमाना बदल गया है ,
होते थे पहले भी पाखंडी ,
मगर अलग से पहचाने जाते थे ,
अब दौर अलग है ,
कौन , कहाँ , किस मोड़ पर ,
टकरा जाये - पहचानना असंभव है।
अब कर्मो के फल की चिंता नहीं होती ,
भले - बुरे की श्रेणी अलग नहीं होती ,
अपने फायदे के लिए सब जायज़ लगता है ,
हर रिश्ता अब स्वार्थ से गढ़ता है।
इंसानियत अब जैसे किताबो तक ही सिमट गयी है ,
शरीफो की बेइज्जती सरेआम हो रही है ,
बुजुर्गो के आत्मसात कायदे कानूनों की ,
आधुनिकता के नाम पर बलि चढ़ रही है।
बदल लिए है दुनिया ने उसूल ,
आप भी बदल लीजिये ,
सच्चाई और ईमानदारी के झोले में ,
थोड़ा झूठ और थोड़ा बेईमानी भर लीजिये।
नहीं बदल सकते अपने उसूल ,
तो आइये स्वागत हैं मेरे स्कूल ,
कठिन डगर है मगर ,
दिल को मिलता है बड़ा सुकून।
पग -पग में रोड़े होंगे ,
कुंठा के घेरे होंगे ,
नाते रिश्तेदार सब मुहँ मोड़ेंगे ,
लेकिन हम चैन की नींद सोयेंगे।
न खोने की ज्यादा चिंता होगी ,
न बहुत कुछ पाने का लालच ,
जो मिलेगा राहे -ए - ज़िन्दगी ,
उसी में हँसी ख़ुशी ज़िन्दगी जी लेंगे।
करेंगे अपना काम सिद्दत से ,
काम से अपनी पहचान बनायेंगे ,
दुनिया बदल ले भले अपने उसूल ,
हम "जो सही है " उसी ऱाह चलेंगें।
नहीं बदल सकते अपने उसूल ,
तो आइये स्वागत हैं मेरे स्कूल ,
कठिन डगर है मगर ,
दिल को मिलता है बड़ा सुकून।
पग -पग में रोड़े होंगे ,
कुंठा के घेरे होंगे ,
नाते रिश्तेदार सब मुहँ मोड़ेंगे ,
लेकिन हम चैन की नींद सोयेंगे।
न खोने की ज्यादा चिंता होगी ,
न बहुत कुछ पाने का लालच ,
जो मिलेगा राहे -ए - ज़िन्दगी ,
उसी में हँसी ख़ुशी ज़िन्दगी जी लेंगे।
करेंगे अपना काम सिद्दत से ,
काम से अपनी पहचान बनायेंगे ,
दुनिया बदल ले भले अपने उसूल ,
हम "जो सही है " उसी ऱाह चलेंगें।
No comments:
Post a Comment