दीये बेचकर कुछ पैसे लेकर ,
वो मासूम अपने माँ से बोली ,
" माँ , आज दिवाली है ,
हम भी मनाते है ,
कुछ मिठाई और पटाखे हम भी लाते हैं। "
माँ ने उससे पैसे लिए और
हिसाब किताब करने लगी ,
और बोली ,
" सारे दीये तुझे तीन सौ रुपये में बेचने को बोला था ,
तू उन्हें दो सौ रुपये में ही बेच आयी ,
अब कहाँ से खरीदू पटाखे और मिठाई ?"
बेटी रुँआसी सी बोली ,
" अम्मा , सबने तय कीमत से कम बोली लगाई
किसी ने दो रूपये , किसी ने पाँच रुपये कम कीमत चुकाई ,
इसलिए तीन सौ रुपये के दीये दो सौ रुपये में ही बेच पाई। "
माँ बोली ,
" चल , कोई बात नहीं ,
डेढ़ सौ रुपये में घर चला लूंगी ,
पचास रुपये ले , भाई को साथ ले जा ,
जमकर लाना पटाखे और मिठाई। "
वो भाई का हाथ पकड़ बाजार चल दी ,
अब उसे मोलभाव करने की आज़ादी मिल गयी ,
बाजार में खो सी गयी ,
चंद पटाखे और कुछ लड्डू लेकर ,
दस रुपये माँ को लौटाती बोली ,
" अम्मा , शुभ दीपावली। "
वो मासूम अपने माँ से बोली ,
" माँ , आज दिवाली है ,
हम भी मनाते है ,
कुछ मिठाई और पटाखे हम भी लाते हैं। "
माँ ने उससे पैसे लिए और
हिसाब किताब करने लगी ,
और बोली ,
" सारे दीये तुझे तीन सौ रुपये में बेचने को बोला था ,
तू उन्हें दो सौ रुपये में ही बेच आयी ,
अब कहाँ से खरीदू पटाखे और मिठाई ?"
बेटी रुँआसी सी बोली ,
" अम्मा , सबने तय कीमत से कम बोली लगाई
किसी ने दो रूपये , किसी ने पाँच रुपये कम कीमत चुकाई ,
इसलिए तीन सौ रुपये के दीये दो सौ रुपये में ही बेच पाई। "
माँ बोली ,
" चल , कोई बात नहीं ,
डेढ़ सौ रुपये में घर चला लूंगी ,
पचास रुपये ले , भाई को साथ ले जा ,
जमकर लाना पटाखे और मिठाई। "
वो भाई का हाथ पकड़ बाजार चल दी ,
अब उसे मोलभाव करने की आज़ादी मिल गयी ,
बाजार में खो सी गयी ,
चंद पटाखे और कुछ लड्डू लेकर ,
दस रुपये माँ को लौटाती बोली ,
" अम्मा , शुभ दीपावली। "
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