Sunday, December 15, 2013

मैं और मेरी ज़िन्दगी .......

बहुत कुछ कर गुजरने कि तमन्ना ,
जीने नहीं देती हैं  ,
कुछ न हो पाने कि बेचैनी ,
सोने नहीं देती हैं ,

कश्मकश हर रोज़ चलती हैं ज़िन्दगी और मेरी ,
कभी उसका पलड़ा भारी तो कभी मेरा हाथ ऊपर होता है ,
हम दोनों कभी एक दूसरे को उकसाते हैं ,
तो कभी शांत रहने कि सलाह देते हैं ,

ज़िन्दगी हर रोज़ सवाल करती हैं ,
मेरे बीते दिन का हिसाब पूछती हैं ,
आगे के प्लान के बारे में पूछती हैं ,
कभी मैं हँस के जवाब देता हूँ ,
तो कभी चुप रहने को भी बोलता हूँ ,

जदोजहद चलती रहती है हर रोज़ हमारी ,
शायद इसलिए मै भी लाइन पर रहता हूँ ,
उसके  सवालो से कुड़ता भी हूँ ,
तो मन ही मन उसका शुक्रिया भी अदा  करता हूँ ,
क्यूंकि मेरी ज़िन्दगी मेरा आइना ही तो हैं ,
जिसमे मैं हर रोज़ अपना अक्श टटोलता हूँ .

मैं सिर्फ मैं तक सीमित हूँ
मगर मेरी ज़िन्दगी मेरा व्यक्तिव बनाती हैं ,
हर अच्छे बुरे वक्त में मेरा साथ निभाती हैं ,
बहकता भी हूँ कभी हवा के झोंके में तो ,
मुझे फिर से लाइन पर लाती हैं .