Tuesday, May 28, 2019

लहरें

लहरें , 
पानी की हो ,
या ,
यादों की , 
बहा ले जाती है , 
सब कुछ , 
और जब तन्द्रा टूटती है , 
तब , 
बहुत आगे निकल जाने का , 
एहसास , 
एकाकीपन , 
और आगे बढ़ने की, 
मजबूरी , 
या 
उम्मीदों का अपनापन।   

Friday, May 24, 2019

जीत


जीत , 
चाहे छोटी हो या , 
बड़ी , 
सब कुछ छुपा लेती है , 
कमियाँ , 
खामियाँ , 
अवगुण , 
क्यूंकि , 
जीत की परत , 
बहुत मोटी होती है , 
वह सब कुछ, 
अपने नीचे , 
छुपाकर , 
बस , 
ऊपरी सतह पर , 
मेहनत , 
जज्बा , 
जूनून , 
और हौंसला , 
दिखाती है, 
जीत , बस , 
जीत होती है , 
और , 
बहुत जरुरी होती है।   

Tuesday, May 21, 2019

गुरुर


मत इतराना अपने गुरुर पर ,
वक्त के आगे ये कुछ भी नहीं ,
देखा है मिट्टी में मिलते ,
रावण को और सिकंदर को भी।  

कर्मो की लकीरें ही,
याद रहती है जमाने को ,
जीये तो कृष्ण भी थे ,
और कंस भी।  

Friday, May 3, 2019

लोकतंत्र




लोकतंत्र की जब अवधारणा की होगी ,
कितनी गजब रही होगी ,
जनता से ,
जनता द्वारा ,
जनता के लिए ,
सेवक चुने जायेंगे ,
सोचकर ही जनता की बाँछे खिली होंगी। 

हम ही शासक ,
हम ही प्रजा ,
हमारे कानून ,
हमारे नियम ,
कोई भेदभाव नहीं ,
सबको समान अवसर ,
किताबो में यही परिभाषा उकेरी होगी। 

यथार्थ में ,
नेता ही सबकुछ ,
नया क्षत्रप हो गया ,
जनता की भागीदारी ,
बस वोट तक सीमित ,
बाकि लोकतंत्र ,  किताबो तक ही रह  गया।