Monday, April 23, 2018

हर सुबह - नई रोशनी




कुछ उम्मीदें , कुछ आशाएँ
कुछ विश्वास लेकर रोज़ उठता हूँ ,
कल से बेहतर आज को बनाऊँगा ,
नयी सुबह का आगाज करता हूँ। 

दफ़न कर देता हूँ कड़वी यादों को बुरा सपना समझकर ,
अच्छी यादो को संजो लेता हूँ ,
निकल पड़ता हूँ हर रोज़ एक नए सफर में जैसे ,
इस तरह से मैं रोज़ अपना " कारवाँ जारी " रखता हूँ। 

मिलते है कई लोग मुझे ,
रोज़ कुछ न कुछ सीख लेता हूँ ,
मेरी ख़ुशमिज़ाजी का राज बस इतना सा हैं ,
दुसरो से ज्यादा अपेक्षा नहीं , खुद पर भरोसा रखता हूँ। 

जहाँ से सीख मिले , उसे भी अपनाता हूँ
पत्थर से टकरा जाऊं , तो फिर संभल कर चलता हूँ ,
जीवन उस खुदा का दिया अनमोल तोहफा है ,
"व्यर्थ" न चला जाये , हर मुमकिन कोशिश करता हूँ। 

Wednesday, April 18, 2018

तितलियाँ

ये रंग बिरंगी तितलियाँ मुझे बहुत भाती है , 
फुर्र से उड़ जाती है , 
कभी इस जगह , कभी उस जगह 
अपने पंख फड़फड़ाती है।  

रंगीनियत सी भरती ये , 
कितनी प्यारी लगती है ,
एक फूल से दूसरे फूल , 
इतराती -इठलाती है।  

छोटे से जीवन में , 
कितना जीवन जी जाती हो  , 
सुनने में असमर्थ तुम  , 
स्वाद का पता पैरो से लगाती हो।    

तितली - ओ तितली , 
तुम कितना कुछ सिखा जाती हो , 
स्वछंद होकर अपनी मस्ती में , 
जीवन को एक नया अर्थ दे जाती हो।  

काश तुम्हारे जैसा जीवन , 
इंसानो की बस्ती में भी होता , 
छोटी छोटी तितलियाँ भी यु ही इठलाती फिरती , 
कुटिल नजरो से काश वह बच पाती।  

बंदखानो दरवाजे के पीछे , 
सिसकियाँ यूँ न गूँजती , 
लेकर अपना जन्म वो , 
तुम जैसा  तितली जीवन जी पाती।  

Friday, April 6, 2018

सीख


सुलझाते रहो रिश्तो के धागे ,
बहुत महीन और नाजुक होते है ,
देर गर हो गयी तो ,
गाँठ बन जाते है।

बस चार दिन का बसेरा है ये जहाँ ,
किराये का घर है ,
अपना कुछ नहीं यहाँ ,
फिर कुछ खोने से क्या डर है?

कुछ भी स्थायी नहीं जगत में ,
वक्त जो आपके हाथ में है ,
उससे बढ़कर और कुछ भी नहीं  ,
जी लो बस " आज " को , क्यूंकि "कल" कभी आता नहीं। 

बेशक योजना बनाओ कल की ,
मगर उसके चक्कर में आज गँवाओ नहीं ,
ये वक्त है ,
एक बार हाथ से फिसला ,फिर लौटता नहीं।