Thursday, November 22, 2018

मेरे दस "बब्बर " शेर


कुछ सबक ज़िन्दगी ने सिखाने थे ,
वो हर कदम पर परीक्षा लेती रही ,
हम भी दिलेर इतने ,
हर परीक्षा में पास होते रहे। 

लेती रह ज़िन्दगी
हर कदम पर इम्तेहान कई ,
तुझे भी पता है हार नहीं मानूंगा मै ,
तू भी तो थकेगी कहीं। 

उड़ चले परिंदे पंख लगते ही ,
पुराने घौंसले से अब कहाँ उन्हें मोह था ,
अब आ गया था मौसम नया ,
नया बेहतर घौंसला जो बसाना था।

तू अपनी फिक्र कर "आनन्द ",बाकि दुनिया मौज में है।
तेरी ही नजरो में खोट है शायद , सब जगह तो चैन है। 

कुछ किताबें रटकर जीवन परीक्षा में उतरे तो थे ,
मगर यहाँ तो हर प्रश्न का उत्तर किताबो से जुदा निकला। 

अच्छा हुआ की उन्होंने बेवफाई की ,
हम तो उन्ही को अपनी दुनिया मान बैठे थे ,
उतरा जब ये चश्मा ,
दुनिया में और भी कई रंग थे। 

रुखसती से पहले ये जरूर बता देना ज़िन्दगी ,
इतना दौड़ाया क्यों था ,
गुजर सकती थी जो रातें सुकून में ,
जगाया क्यों था। 

हम तो नियम से चल रहे थे ,
उसूलो को सच मान बैठे थे ,
हमें बड़ी देर से पता चला ,
नियम और उसूल हर एक के अपने अपने थे। 

अभी चर्चे न हुए तो क्या हुआ ,
दस्तूर जमाने का है
ज़िंदा रहते कोई पूछे , न पूछे
चले गए तो फोटो में हार जरूर है। 


१०
ये नौकरी है साहब , नौ "कर" भी देने है
बाकि जो बच जाये  , बस वही अपने है।    

Thursday, November 15, 2018

वो तुम्हारे साथ है।


जब सारे रास्ते बंद दिखे , 
उम्मीद की हर किरण धुले , 
जीवन एक बोझ सा लगे , 
तब एक हलकी सी दस्तक सीने में , 
आशा बनकर उभरे , 
तब समझ जाओ , 
वो तुम्हारे साथ है।  

जब हिम्मत टूटने लगे , 
हौंसला साथ छोड़ने लगे , 
सब कुछ बड़ा बेमानी सा लगने लगे , 
अचानक एक आँसू गिरकर , 
चमकने लगे , 
दिल थोड़ा सा हल्का लगने लगे , 
तब समझ जाओ , 
वो तुम्हारे साथ है।  

घुप्प अँधेरा हो , 
कहीं कुछ दिखाई न दे , 
सब अमावस की काली रात लगे , 
तब कही दूर एक टिमटिमाता जुगनू भी दिखे , 
तब समझ जाओ , 
वो तुम्हारे साथ है।  

जब सब साथ छोड़ दे , 
अकेला ये जहाँ लगने लगे , 
सारे रिश्ते नाते दूर के लगने लगे , 
तब आपको माँ का चेहरा  दिखे , 
तब समझ जाओ , 
वो तुम्हारे साथ है।

जब खुद के वजूद पर संदेह हो जाये ,
अपने होने का अर्थ समझ न आये ,
सबसे बुरा ख्याल मन में आये  ,
तब आपको किसी लाचार और मजबूर का चेहरा याद आये ,
तब समझ जाओ , वो ज़िन्दगी का दाता
आपके साथ है।    

Image source - google

Tuesday, November 13, 2018

ख्वाइशें और हकीकत


ख्वाईशो का समंदर टकरा गया इक दिन ,
हकीकतों की चट्टानों से ,
ऐसा मंथन हुआ दोनों का ,
दोनों में ठन गयी ,
थक गए जब दोनों , 
सुलह के रूप में ,
एक नदी की धार निकली ,
समंदर से पानी लेकर ,
चट्टानों के बीच से ,
अपना रास्ता बनाकर ,
वह सपाट मैदानों में बह निकली ,
स्वछंद और मदमस्त बहाव से ,
किनारो को मुस्कान देकर ,
वह जीवन सागर से मिलने चल दी। 

अब न उसपर ख्वाईशो का बोझ है  ,
हकीकत से  वास्ता जोड़ लिया है ,
अब तो उसे अपनी रौ में बहना है  ,
जो मिलना है  रास्ते में ,
अपने में समेटकर  तरना है। 

कितना सरल है जीवन का यूँ बहना ,
न जाने कठिन कैसे हो जाता है ,
फिर वही मंथन , फिर टकराव,
जीवन का बहाव थम सा जाता है।

ख्वाईशो और हकीकत में सामंजस्य रखिये ,
जीवन को सरल और बहने दीजिये ,
आपको भी जीवन जीने का मजा आएगा ,
जीवन भी अपना अर्थ पा जायेगा।

Thursday, November 1, 2018

शुभ और मंगलमय दीपावली



फिर
दिवाली
आयी है
खुशियों की
सौगात लायी है ,
हारेगा हर बार
तिमिर ,
ये सन्देश
लायी
है।
जगमग करते दीये , ये कहानी कहते है
रोशन रहे ज़िन्दगी , खुद जलकर प्रकाश भरते है ,
पूजा , पकवान से सुशोभित घर , दीप्तिमान हो उठता है मन ,
हर्षित -पुल्लकित सबका मन , हर घर बरसाए लक्ष्मी जी धन ,
बच्चे हर्षोल्लित , बड़ो का श्रंगार ,आतिशबाजी होती जोरदार ,
घर स्वागत के लिए तैयार ,खुशियों -आओ -खोल दिए द्वार ,
अमावस की काली रात को ,रोशनी जगमगाती है ,
दूर हटे अँधेरा , हर साल दिवाली आती है।

शुभ दिवाली।