Thursday, July 18, 2024

तृष्णा

 

किसी ने पूछा ," क्या उपलब्धियाँ पायी ?"

मैंने भी जम कर सुना दी उपलब्धियाँ ,

यहाँ तीर मारा , वो सफलता पायी ,

घर जोड़ लिया और जोड़ लिया चार पहिया सवारी ,

थोड़ा बहुत बैंक बैलेंस भी बना लिया ,

और क्या चाहिये भाई ?

 

मुस्कराते हुए उसने कहा ,

" ये सब तो बढ़िया है दोस्त ,

ये तो सब करते है ,

तूने अतिरिक्त क्या किया ?

उसका बखान कर भाई ,

सच -सच बता , क्या तू ज़िन्दगी से खुश है भाई ?"

 

अचानक से दिमाग सुन्न ,

दिल परेशान हो गया ,

ये तो मैं भूल ही गया था ,

इस चक्कर में आधी उम्र खप गयी भाई ,

यकीनन ये सब निहायत जरुरी है ,

मगर इस सबका मजा लेने के लिये ,

वक्त कहाँ है तेरे पास भाई ,

 

जो हासिल किया , उसका लुफ्त लिया कहाँ ,

रोज़ फिर नई ख्वाईश के लिये दौड़ रहा ,

इकठ्ठा कर लेगा तू इक दिन बहुत कुछ ,

दौड़ता रहा यूँ ही तू हरदम ,

तब तक शायद बहुत देर हो चुकी होगी,

धरा रहेगा सब कुछ ,

दौड़ कभी पूर्ण न होगी।