Friday, November 8, 2024

उद्देख


 


घर के आँगन में बैठी वो बूढ़ी अम्मा ,

एक नजर घर पर , एक आँगन पर ,

धुँधली आँखों से निहार रही ,

दो बूँदे आँखों की झुर्रियों से रिसाती हुई ,

अतीत और वर्तमान के बीच में झूलती सी ,

अचानक से ठिठक सी गयी ,

जब उसने दिखा ,

एक टूटा हुआ आँगन में बिछा पत्थर ,

बुढ़ाते गले से रुँधाती सी आवाज में ,

अपने पोते को पुकारा ,

पोता आवाज सुनकर दौड़ा ,

अम्मा के पास पहुँचा ,

अम्मा ने उससे जरा लाल मिटटी और गोबर मँगवाया ,

करीने से लीप दिया वो टूटा पत्थर ,

जैसे उसने भर दिया ,

अपनी उदासी और उद्देख के सब  कारण।

 

कुमाउनी शब्द

उद्देख - निराशा और हताशा

 




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