Thursday, August 16, 2018

श्री " अटल " बिहारी बाजपेयी को विनम्र श्रदांजलि




बस इतना पता है , 
खाली हाथ आया था ,
खाली हाथ ही जाऊँगा , 
मिलेगा जो भी इस बीच में जहाँ से ,
दर्द मिले या सुकून ,
इज्जत मिले या दुत्कार ,
कुछ नहीं ले जा पाउँगा ,
यादों की गठरी ,
जब तक हूँ , 
उठाता रहूँगा ,
जीवन के इस कारवाँ में ,
एक मुसाफिर ही तो हूँ , 
एक दिन किसी मोड़ पर , 
सबसे बिछुड़ जाऊँगा , 
छोड़ जाऊंगा तो शायद ,
कुछ शब्दों की लड़िया ,
कुछ अपने बोल , 
कुछ सुलझे, 
कुछ उलझे, 
लगा लेंगे अर्थ अपने अपने , 
जिन्हे समझना होगा , 
अपने जीने के अर्थ को , 
शब्दों में ढाल जाऊंगा, 
कोई भूला भटका पहचान ले अगर ,
शायद उसका सफर आसान कर जाऊँगा, 
नाम से मत याद रखना मुझे , 
कर्मो से अपने एक लकीर खींच जाऊँगा , 
"अटल" सत्य में एक न एक दिन , 
मैं " अटल " भी समां जाऊँगा।


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