Wednesday, October 17, 2018

बड़ा सवाल ?

ईमान , जमीर , सच्चाई , ईमानदारी 
किस जमाने की बात करते हो ?
है कोई अब समझने वाला इनकी कीमत , 
क्यों बेकार की बात करते हो।  

सब कुछ तो गिरवी रख दिया हमने अब ,
इस अंधाधुंध दौड़ में ,
तरक्की की खातिर , 
कब से नाता तोड़ लिया है।    

झूठ , स्वार्थ , लालच , दोगलापन 
अब इस नए ज़माने के गुण है , 
आगे बढ़ने के लिए , 
यही अब जरुरी है।  

मत पढ़ाओ किताबी बातें अब , 
नए ज्ञान के अब नए शिखर है , 
पुराने जीवन मूल्यों की अब , 
किसको यहाँ क़द्र है ?

रिश्ते सिमट गए थैली में , 
संस्कारो की नित नयी होली है , 
दुसरो की भावनाओ से खेलने की , 
आयी एक नयी बीमारी है।  

चल रहे है जो अब भी उसूलो से , 
उनको हाशिये में धकेलने की पुरजोर तैयारी है , 
इक्कसवी सदी में देखो , 
धक्कामुक्की का खेल जारी है।  

जीवन की बुनियाद दरक रही , 
अटालिकाएँ बनना जारी है ,
खोखली दीवारों पर , 
दिखाऊ  और चमकदार रंगरोगन जारी है।  

है अभी भी कुछ लोग ,
जो जीवन का मर्म समझते है , 
लगे हुए है चुपचाप अपना , 
बाकी लोग उन्हें पुरातन समझते है।  

टिका है बस उन्ही के कंधो पर,
ये भार है , 
कब तो वो भी ढोयेंगे , 
ये बड़ा सवाल है। 

1 comment:

  1. An excellent ctrictcs to the current scenario.. Mirroring what we have become in the race of being a successful ... But should never lose hope.. At least there is some count.. And need to be one of them to maintain those some counts... Ummid hi jindagi hain.... Aur hm to Indian hai jinki NEEW hi UMMID HOTI HAI SIR. JAI HIND .

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