Tuesday, October 23, 2018

जरुरत



ज़िन्दगी वादा है तुझसे ,
ऐसा जियूँगा तुझे ,
की तू भी रश्क करेगी ,
जिस हाल में भी रखेगी तू ,
हर हाल में मुस्कराता मिलूँगा मैं।  

ले ले इम्तेहान कई ,
गुरेज नहीं अब कोई भी , 
एक ही धागे से लिपटे है हम दोनों ,
तेरी उठापटक से अनजान नहीं हूँ ,
बस तेरा मंतव्य समझने लगा हूँ मैं।   

मुझे तेरी जरुरत , 
तू भी मुझबिन अधूरी सी ,
चल " मैं " से "हम " हो जाते है , 
समाहित हो जाते है इस कदर ,
न तू कभी अलग दिखे और न मैं।  

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