निकल पड़ा हूँ लेखन यात्रा में , लिए शब्दों का पिटारा ! भावनाओ की स्याही हैं , कलम ही मेरा सहारा !!
तुम मिलोगे दुबारा ?
मैं नहीं जानता ,
मगर उम्मीद है ,
ज़िन्दगी के किसी न किसी ,
मोड़ पर ,
हम फिर टकरायेंगे ,
वो बात अलग होगी ,
तुम भी न जाने कितना सफर,
तय कर आये होगे,
और मैं भी ,
मगर विश्वास तब तक ,
कायम रहेगा फिर मिलने का ,
जब तक ये दुनिया गोल रहेगी।
Wah लाजवाब लिखा है यार
बहुत सुन्दर पंक्तियां है।मेरे दोस्तों से मिलने की उम्मीद
Wah लाजवाब लिखा है यार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पंक्तियां है।
ReplyDeleteमेरे दोस्तों से मिलने की उम्मीद