Tuesday, December 15, 2020

अब लौट कर मत आना 2020 मानवता के काल में।

                                                       कैद कर दिए पाँव , पसरा दिया सन्नाटा

भय से त्रस्त प्राण ,  मुँह पर मास्क की छाँव ,

लौट कर मत आना 2020 मानवता के काल में। 

 

संशय , असमंजस , बेरोजगारी , लाचारी

एक वायरस के आतंक से थम गयी दुनिया सारी ,

लौट कर मत आना 2020 मानवता के काल में।

 

त्राहि त्राहि मची चहुँओर , मानवता पर संकट भारी

सीख लिया जो सबक सीखना था , अब टीके पर नजर सारी ,

अब लौट कर मत आना 2020 मानवता के काल में।

 

भ्र्म अब टूट गया , घमंड पीछे छूट गया

प्रकृति के ऊपर नहीं सारा अधिकार हमारा ,

अब लौट कर मत आना 2020 मानवता के काल में।

 

अब जाते जाते अवसान कर जाना ,

संशय और भय सब हर जाना , प्राण फूँक जाना  ,

एक गुजारिश -अब लौट कर मत आना 2020 मानवता के काल में।

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