Thursday, December 17, 2020

2020

 जनवरी में देखे सपने दिसंबर आते हवा हो गये। 

ऐसे करते करते न जाने कितने साल गुजर गये।।

 

हसरते परवान चढ़ती रही हकीकत ने कदम रोक लिये।

हर साल की भाँति इस साल के भी दिन यूँ ही गुजर गये।।

 

कुछ यूँ गुजरा यह साल दहशत में सिमट गये। 

बचते बचाते कुछ अपने फिर भी गुजर गये ।।

 

दुआ रहमत प्रार्थना आशीष करते रह गये।

मास्क मुँह सैनिटाइजर हाथ मलते रह गये।।

 

कोसे किसको कसूर किसका ढूँढ़ते रह गये।

इन्तेजार -ऐ - वैक्सीन में  सब दिन गुजर गये।।

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