सुनो यायावर ,
कहाँ तक जाना है ?
और क्या पाना है ?
पता नहीं ,
हाँ ,लेकिन सब कहते है ,
चलते जाना है।
अच्छा,
अभी तक जितना चले हो ,
उसमे से कुछ याद हैं ,
हाँ, धुँधला सा ही है ,
भागते भागते कहाँ कुछ दिखता ,
और याद रहता है।
बताओ ,
किस चीज की तलाश है ,
बहुत कुछ ,
उस बहुत कुछ में ,
क्या -क्या शामिल है ,
पैसा , रुतबा , ईज्जत ,
कामयाबी , प्रसिद्धि ,
प्यार , मोहब्बत ,
सब कुछ।
अभी तक कितना पाया ,
पाने से अधिक तो खोया है ,
झोले में जितना भरता है ,
उससे ज्यादा तो गिरता है ,
सोचा झोली भर जायेगी ,
सुकून मिल जायेगा ,
शांति से फिर सफर चलेगा ,
मगर उल्टा हो रहा है ,
भागदौड़ में बस ,
सफर चल रहा है ,
तो सुनो यायावर ,
कोई मंत्र तो नहीं मेरे पास ,
मगर एक तंत्र है ,
क्षण -क्षण का लुफ्त उठाओ ,
सफर में थोड़ा रुको ,
एहसास करो ,
जो है, उसका मजा लो ,
चलना तो है ही ,
हर मील पार करने पर ,
ठहरो , रुको ,
और जश्न मनाओ।
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