Tuesday, March 18, 2025

यायावर

 

सुनो यायावर ,

कहाँ तक जाना है ?

और क्या पाना है ?

पता नहीं ,

हाँ ,लेकिन सब कहते है ,

चलते जाना है। 

 

अच्छा,

अभी तक जितना चले हो ,

उसमे से कुछ याद हैं ,

हाँ, धुँधला सा ही है ,

भागते भागते कहाँ कुछ दिखता ,

और याद रहता है। 

 

बताओ ,

किस चीज की तलाश है ,

बहुत कुछ ,

उस बहुत कुछ में ,

क्या -क्या शामिल है ,

पैसा , रुतबा , ईज्जत ,

कामयाबी , प्रसिद्धि ,

प्यार , मोहब्बत ,

सब कुछ। 

 

अभी तक कितना पाया ,

पाने से अधिक तो खोया है ,

झोले में जितना भरता है ,

उससे ज्यादा तो गिरता है ,

सोचा झोली भर जायेगी ,

सुकून मिल जायेगा ,

शांति से फिर सफर चलेगा ,

मगर उल्टा हो रहा है ,

भागदौड़ में बस ,

सफर चल रहा है ,

 

तो सुनो यायावर ,

कोई मंत्र तो नहीं मेरे पास ,

मगर एक तंत्र है ,

क्षण -क्षण का लुफ्त उठाओ ,

सफर में थोड़ा रुको ,

एहसास करो ,

जो है, उसका मजा लो ,

चलना तो है ही ,

हर मील पार करने पर ,

ठहरो , रुको ,

और जश्न मनाओ। 

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