Sunday, March 30, 2025

सैलरी



सैलरी तुम चाँद जैसी हो , 

पूर्णिमा पर आती हो , 

अमावस पर ख़त्म हो जाती हो , 

मगर अमावस से फिर , 

पूर्णिमा आने तक , 

वो इन्तजार हद तक गुजर जाता है, 

साँसे अटकी , जेब खाली , 

शरीर  हलकान रहता है।  

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