Wednesday, December 26, 2018

नवोदय तुझे प्रणाम




ऐ मेरे स्कूल तुझे शुक्रिया नहीं कहूंगा ,
क्यूंकि तुम मुझसे अलग कभी हुए ही नहीं ,
तुझे ही जीता हूँ मैं आज भी ,
मन तो तेरे आँगन छोड़ आया था तभी। 

तेरी आँगन की मिटटी की महक ,
आज भी याद है मुझे ,
तेरी दीवारों पर मेरे लिखे शब्द ,
पता है मेरी याद में छुपाये है कही। 

मेरी शैतानियों को याद कर ,
सिसकता है तेरा रोम रोम भी ,
मेरी खिलखिलहाट गूंजती है ,
तेरे गलियारे में आज भी। 

हाँ , ज़िन्दगी के सफर में बहुत आगे निकल गया हूँ ,
तेरे नाम की विरासत जो लिए चल रहा हूँ ,
बढूंगा और आगे बढूँगा ,
सीखा तेरे आँगन से ही। 

मगर , ये तुझे भी पता है ,
और मुझे भी ,
हम दोनों कभी न अलग हुए थे , न होंगे
बस तू मेरी यादों को संभाले रखना ,
मैं तेरे नाम का परचम लहराता हूँ कहीं। 

बस तेरे जर्रे जर्रे को प्रणाम करना चाहता हूँ ,
नमन हर कण कण को करता हूँ ,
एहसानमंद हूँ तेरा हर पल ,
बस खुद को ' नवोदयन ' करना चाहता हूँ। 


22 comments:

  1. Waah Bhaiya bahut khub...once a navodiyan is always a Navodiyan...

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  2. Being Navodian baate dil ko choo gayi....
    Sat sat pranam he tuje navoday

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  3. बहुत खूब, अपने स्कूल दिनों की यादें ताजा हो गई।

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  4. Bahut khoob chachaji🔥🔥🔥🔥

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