Wednesday, December 5, 2018

मुस्कराइये , आप ज़िंदा है


माना की अँधेरे बहुत है , 
मगर रोशनी के लिए तो , 
एक जुगनू ही बहुत है।  

माना की दुश्वारियाँ बहुत है , 
मगर मुस्कराने के लिए तो , 
एक बहाना ही बहुत है।  

माना की हारे बहुत बार है , 
मगर पीठ थपथपाने के लिए , 
एक कदम भी चले है तो बहुत है।  

माना की कोई साथ नहीं है , 
मगर हौंसला देने के लिए , 
जूनून और ज़िद्द ही बहुत है।  

माना की सारे दुश्मन है , 
मगर अब भी वो बचपन का दोस्त ,
जिसे तुम भूल गए हो , बहुत है।  

माना की रातों की नींद गायब है , 
मगर सोने के लिए , 
माँ की  थपकी की याद ही बहुत है।  

माना की ज़िन्दगी थोड़ा कठिन है , 
मगर स्वस्थ हो , 
कदम बढ़ाने के लिए यही बहुत है।  

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