Monday, December 10, 2018

प्रश्न



अब स्वर्ग से नहीं उतरेंगे
फरिश्ते ,
और न पाताल से जन्मेंगे
राक्षस,
इसी पृथ्वी पर ,
धरती और आकाश के बीच
जन्मेंगे ,
पनपेंगे ,
और ,
नियति को पाएंगे ,
सब ,
इर्द गिर्द ,
मौजूद रहेंगे ,
हर वक्त ,
फरिश्ते ,
और राक्षस ।

नजर पैनी चाहिए ,
जो पहचान सके ,
कौन फरिश्ता
और कौन राक्षस ,
न रंग में भेद होगा ,
न फ़रिश्तो के पर होंगे ,
राक्षस अट्टहास नहीं करेंगे ,
बड़ी मुश्किल ,
पहचानने में ,
किसके अंदर छुपा क्या है ,
कौन छुपाये बैठा है खंजर ,
किसकी नीयत क्या है ?
किसी को नहीं खबर ,
मानुष के रूप में ,
फरिश्ता भी है ,
और राक्षस भी। 

तय नहीं है अब
श्वेत वस्त्र में फरिश्ते ही होंगे ,
काले कपड़ो में सिर्फ ,
राक्षस ही मिलेंगे ,
बदल गयी है दुनिया ,
बदल गया है समाज ,
खुद ही संभल कर ,
चलिए ,
खुद ही पहचानना होगा ,
कौन फरिश्ता ,
और
कौन राक्षस,
कौन दोस्त ,
और ,
कौन दुश्मन। 

हां , मुश्किल है थोड़ा ,
मगर असंभव नहीं ,
खुले रखिये अपने पाँचो इन्द्रियाँ ,
संकेत मिलेंगे वहीँ,
पहचान जायेंगे आप ,
कौन गलत  ,
और ,
कौन सही।


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