Monday, September 9, 2019

लिखने के लिए ये दौर कठिन है


लिखने के लिए ये दौर कठिन है ,
मन की लिखूँ तो ,
मनगढंत ,
सच लिखूँ ,
किसको इसकी फिक्र है ,
लिखने के लिए ये दौर कठिन है। 

चाटुकारिता करूँ ,
वाहवाही है ,
विरोध लिखूँ तो ,
तन्हाई है ,
प्यार लिखूँ तो ,
कहा अब वो गहराई है ,
रिश्तो में ,
कहा अब वो सच्चाई है ,
लिखने के लिए ये दौर कठिन है। 

फलसफों में कोई दम नहीं ,
पाखंडियो ने दूकान सजाई है ,
मानवता पर लिखने वालो ने ,
हालातो की सजा पाई है ,
शब्द भी अमर्यादित अब ,
वजूद से खोने लगे है ,
पढ़ने वाले भी अब ,
अपने हिसाब से पढ़ने लगे है ,
बिकने लगी है कलम ,
शब्द भी छल करने लगे है ,
सच्चे कलमकार ,
चुप रहने लगे है ,
लिखने के लिए ये दौर कठिन है। 

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