सैलरी तुम चाँद जैसी हो ,
पूर्णिमा पर आती हो ,
अमावस पर ख़त्म हो जाती हो ,
मगर अमावस से फिर ,
पूर्णिमा आने तक ,
वो इन्तजार हद तक गुजर जाता है,
साँसे अटकी , जेब खाली ,
शरीर हलकान रहता है।
निकल पड़ा हूँ लेखन यात्रा में , लिए शब्दों का पिटारा ! भावनाओ की स्याही हैं , कलम ही मेरा सहारा !!
सैलरी तुम चाँद जैसी हो ,
पूर्णिमा पर आती हो ,
अमावस पर ख़त्म हो जाती हो ,
मगर अमावस से फिर ,
पूर्णिमा आने तक ,
वो इन्तजार हद तक गुजर जाता है,
साँसे अटकी , जेब खाली ,
शरीर हलकान रहता है।
सुनो यायावर ,
कहाँ तक जाना है ?
और क्या पाना है ?
पता नहीं ,
हाँ ,लेकिन सब कहते है ,
चलते जाना है।
अच्छा,
अभी तक जितना चले हो ,
उसमे से कुछ याद हैं ,
हाँ, धुँधला सा ही है ,
भागते भागते कहाँ कुछ दिखता ,
और याद रहता है।
बताओ ,
किस चीज की तलाश है ,
बहुत कुछ ,
उस बहुत कुछ में ,
क्या -क्या शामिल है ,
पैसा , रुतबा , ईज्जत ,
कामयाबी , प्रसिद्धि ,
प्यार , मोहब्बत ,
सब कुछ।
अभी तक कितना पाया ,
पाने से अधिक तो खोया है ,
झोले में जितना भरता है ,
उससे ज्यादा तो गिरता है ,
सोचा झोली भर जायेगी ,
सुकून मिल जायेगा ,
शांति से फिर सफर चलेगा ,
मगर उल्टा हो रहा है ,
भागदौड़ में बस ,
सफर चल रहा है ,
तो सुनो यायावर ,
कोई मंत्र तो नहीं मेरे पास ,
मगर एक तंत्र है ,
क्षण -क्षण का लुफ्त उठाओ ,
सफर में थोड़ा रुको ,
एहसास करो ,
जो है, उसका मजा लो ,
चलना तो है ही ,
हर मील पार करने पर ,
ठहरो , रुको ,
और जश्न मनाओ।
सारी चिंताएँ ,
कुछ खोने का डर ,
कुछ पाने की बेचैनी है।
सारा संघर्ष ,
कुछ पाने का ,
कुछ और पाने का हैं।
सारा दुःख ,
अपना नहीं है ,
दूसरों के सुःख का भी है।
सारी अशांति ,
बाहर ही नहीं है ,
मन के भीतर भी है।
सारी असफलताएँ ,
खुद की वजह से ही नहीं है ,
किसी के साथ नहीं देने से भी है।
सारी सफलताएं ,
अकेले की नहीं है ,
बहुतों से साथ से भी है।
सारी खुशियाँ ,
हमारी वजह से ही नहीं है ,
समय का साथ भी जरुरी है।
हमारा जीवन ,
सिर्फ हमारा नहीं है ,
किसी न किसी मकसद का है।
हमारा मकसद ,
हमने नहीं चुना है ,
उसने चुनकर भेजा है।
सरल , सहज और प्रवाही जीवन ,
कठिन ,उलझा और रुका हुआ मन ,
इच्छाएँ अनेक
, साधन सीमित ,
जग बौराया , चिंताएँ
अनंत।
ऊबड़खाबड़ रास्ते , दौड़ अंधाधुंध ,
साँसो की नाजुक डोर पर टिका नन्हा तन ,
किस्मत और कर्मों की जोर आजमाइश ,
कुछ पल सुकून को तरसता जीवन।
उपाय क्या है जिससे आसान बने जीवन ,
कर्म किये जा , न कर फल की चिंता ,
भरोसा रख , उम्मीद जगा , कम कर ईच्छा ,
वक्त को इज्ज़त बख्श , हर हाल मुस्करा।
स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है , नसीब जगा ,
धीरे -धीरे ही सही , मंजिल की तरफ कदम बढ़ा ,
बहुत उलझनों में खुद को न उलझा ,
एक राह पकड़ बस , उसी पर चलते जा।