अक्सर ,
हम सोचते कुछ है ,
होता कुछ है ,
अक्सर ,
हम चाहते कुछ है ,
मिलता कुछ है ,
अक्सर ,
हम बनना कुछ चाहते है ,
बन और कुछ जाते है ,
अक्सर ,
हम करना कुछ चाहते है ,
कर और कुछ रहे होते है ,
बस इसी अंतर को ,
बड़े -बुजुर्ग और ज्ञानी ,
नियति, नीयत और कर्मो का हेर-फेर कहते है।