एस्कलेटर में भी भाग रहा था ,
घडी पर आठ अठारह दिख रहा था ,
अगर छूट गयी तो अगली पांच मिनट बाद आयेगी ,
अटेंडेंस में आज लेट मार्क लग जायेगी।
हाँफता हाँफता प्लेटफॉर्म पर पहुँचा ,
लम्बी लाइन लगी पड़ी थी ,
जेब से रुमाल निकाल पसीना पोछा ,
मोबाइल जेब में रख , घुसने की जल्दी पड़ी थी।
ट्रैन आयी , रुकी , बाहर निकलने देने की किसको फुर्सत थी ,
बाहर वालों को अंदर घुसने की जल्दी पड़ी थी ,
ठसाठस डिब्बा भर गया , ऑटोमैटिक दरवाजों की आफत आयी थी ,
किसी का बैग फँस गया था दो पाटो के बीच , कड़ाक की आवाज आयी थी।
अंदर साँस लेने की जगह नहीं थी ,
एक पैर में खड़े होने की मजबूरी थी ,
अच्छा बस ये था , अंदर ए सी की ठंडी हवा चल रही थी ,
ध्यान दिया बैग पर , उसी के बैग से शायद वो आवाज आयी थी।
फुर्सत कहाँ थी - बैग खोल कर देखने की ,
वैसे भी इतनी जगह कहाँ थी ,
अंतिम स्टेशन उसी का था ,
वहाँ से शटल पकड़नी थी।
गंतव्य से पहुंचने से दो स्टेशन पहले सीट मिली ,
सबसे पहले नजर अब बैग पर पड़ी ,
डरते हुए बैग को खोलने की हिम्मत जुटाई ,
लैपटॉप की स्क्रीन टूटी हुई पायी।
ओफ्फ , अब ऑफिस में बहाना क्या बनाऊँगा ,
वो आई टी हेड वैसे ही खड़ूस है ,
माउस ख़राब होने पर दो पेज का एक्सप्लनेशन लिखवाता है ,
फिर आधे पैसे एच आर वाला सैलरी से काट लेता है।
मेट्रो रुकी , आवाज आयी - यह अंतिम स्टेशन है ,
घडी देखी - आज मेट्रो भी पांच मिनट लेट है ,
अब तो शटल भी चली जायेगी ,
पक्का आज हाफ डे छुट्टी लग जायेगी।
बॉस को मैसेज भेजा - थोड़ी देर हो जायेगी ,
बॉस ने उत्तर दिया- आज दस बजे प्रेजेंटेशन है तेरी भाई ,
प्रेजेंटेशन फ़ोन से बॉस को भेजा ,
मैसेज किया , आप ही दे देना , मेरे घर में कुछ इमरजेंसी आयी।
फ़ोन में कंप्यूटर रिपेयर की दूकान खोजी ,
वापस उसी ट्रैन में बैठकर अब कुछ सांस आयी ,
घर से निकलते ही एक काली बिल्ली रास्ता काट गयी थी ,
ध्यान आया - ये सारा खेल उसी का है भाई।