बहुत बहस होती है ,
पुराना ज़माना अच्छा था ,
या नया जमाना अच्छा है ,
जो है , वो सामने है ,
जो सामने है ,
उसमे हम सबका ,
बराबर का योगदान है ,
अगर योगदान है ,
तो चाहे अच्छा है ,
या बुरा ,
हम सब इसके भागीदार है ,
और भागीदारी में ,
जो मिलेगा ,
उसे स्वीकार करना ,
जिम्मेदारी है ,
जिम्मेदारी से ,
अब हर कोई बचना चाहता है ,
बस मुँह फाड़ कह देना है ,
वो जमाना अच्छा था ,
और ये जमाना बुरा है,
जो अब सामने है ,
जैसा है , वही अच्छा है,
जम सकते है तो जमाओ ,
नहीं तो चुपचाप ,
नदी के गंगलोड़ की तरह ,
किनारे लगो ,
और पानी को सपाट ,
बहने दो,
जो बदलेगा , टिकेगा ,
परिवर्तन नियम है संसार का ,
समझदारी यही , तकाजा यही ,
इसके साथ जल्दी हो लो,
गंगलोड़ बनने से कोई ,
फायदा नहीं।
गंगलोड़ : नदी के द्वारा किनारा किया गया पत्थर